सब को दुआ देना... यह प्रसिद्ध सहज योग भजन 'सबको दुआ देना' की सुंदर और प्रेरणादायक कहानी है। गगनगिरी महाराज नाथ संप्रदाय के एक महान हठ योगी थे। वे चालुक्य सम्राट पुलकेशिन प्रथम के वंशज थे। छोटी उम्र में ही घर छोड़ने के बाद, वे शीघ्र ही नाथ संप्रदाय के संपर्क में आ गए। नाथ संप्रदाय के योगियों के साथ वे बत्तीस शिराळा (महाराष्ट्र) आए और वहीं उन्हें नाथ संप्रदाय की दीक्षा प्राप्त हुई। उन्होंने कई वर्षों तक छाती तक गहरे पानी में खड़े रहकर कठोर तपस्या की। पानी में मछलियों ने उनके पैरों का एक बड़ा हिस्सा खा लिया, लेकिन वे अपनी तपस्या में अविचल बने रहे। लगभग 1975-1977 के दौरान, श्री माताजी निर्मला देवी उनसे मिलने गगन बावड ा के किले पर गईं। किले पर चढ़ते समय बहुत तेज बारिश होने लगी और वे पूरी तरह भीग गईं। जब वे किले पर पहुँचीं, तो महाराज बहुत क्रोधित थे। वे बोले, “माँ, आपने मुझे बारिश क्यों नहीं रोकने दी? क्या यह मेरे अहंकार की परीक्षा थी?” श्री माताजी मुस्कुराईं और कहा, “मुझे पता था कि आप मेरे लिए एक साड़ी लाए हैं, और यह भी पता था कि हम संन्यासियों द्वारा दी गई साड़ी स्वीकार नहीं कर सक...